पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिर: मोतिहारी के टॉप 10 प्रसिद्ध मंदिर जहां होती है सैलानियों की भीड़

पूर्वी चम्पारण, जो भारत के इतिहास में अपना एक विशेष स्थान रखती है। चंपारण जो कि दो भागों में बटा हुआ है, एक मोतिहारी और दूसरा बेतिया। जहां बहुत सी ऐसी प्रसिद्ध जगह है, जहां पर सैलानियों की भीड़ रहती है। आज हम पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बात करने जा रहे हैं जो मोतिहारी के क्षेत्रों में उपस्थित हैं।

पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिर
पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिर

इन जगहों पर दूर-दूर से अर्थात देश और विदेश से यात्री दर्शन करने आते हैं। मंदिरों में काफी सैलानियों की भीड़ होती है। इन मंदिरों में व्यक्ति दर्शन के साथ-साथ अपनी कामना की पूर्ति भी करते हैं और उनकी कामना पूर्ण भी होती है। आप हमारे पूरे आर्टिकल को पढ़ीए क्योंकि आज इस आर्टिकल, जिसमें आपको 24 मंदिरों की जानकारी दी जाएगी और लोकेशन भी बताया जाएगा जिससे आप आसानी से पहुंच सकते हैं।

पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिर

1. सोमेश्वर नाथ मंदिर, अरेराज धाम

पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिर में सोमेश्वर नाथ मंदिर का स्थान सबसे पहले आता है, क्योंकि सोमेश्वर नाथ मंदिर अरेराज धाम के नाम से विश्व प्रसिद्ध है, जहां पर घूमने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु लोग आते हैं और बाबा सोमेश्वर नाथ का दर्शन कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

सोमेश्वर नाथ मंदिर में सावन और भादो के महीने में अत्यधिक भीड़ रहती है। यह महीना भगवान शिव को जलाभिषेक करने का महीना होता है और हजारों श्रद्धालुगण सावन और भादो के महीने में बाबा सोमेश्वर नाथ मंदिर, अरेराज धाम में आकर जलाभिषेक करते हैं।

यह मंदिर मान्यताओं के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध है और यह धाम के रूप में ख्याति प्राप्त की है। इस मंदिर में जो भी व्यक्ति कोई मन्नत मानता है तो उसकी मन्नत पूरी होती है और उस मन्नत के उपलक्ष में वे अपने कांधे पर कांवर लेकर सावन या भादो के महीने में पैदल चलकर भगवान शिव को जलाभिषेक करता है।

सोमेश्वर नाथ मंदिर पूर्वी चंपारण अर्थात मोतिहारी जिले के अरेराज नामक जगह पर स्थित है। यह मोतिहारी के बापूधाम रेलवे स्टेशन से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मोतिहारी स्टेशन से पश्चिम दिशा में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए सवारी गाड़ियां हमेशा मिल जाएंगे। अतः यहां पहुंचने के लिए काफी आसान सुविधा उपलब्ध है।

2. सिताकुंड मंदिर, पूर्वी चम्पारण पिपरा

पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिरों में एक नाम सीता कुंड मंदिर का भी है जो पूर्वी चंपारण के पिपरा नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां साल में एक बार सीता कुंड मेला लगता है। लोग यहां सीता कुंड मंदिर में भगवान राम और सीता का दर्शन करने आते हैं।

सीता कुंड मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है क्योंकि इसके बारे में भी काफी मान्यताएं हैं जिसके कारण लोग यहां काफी मात्रा में आते हैं और इस मंदिर की दर्शन करते हैं और सीता कुंड मेला में भ्रमण करते हैं तथा अनेकों वस्तुओं की खरीदारी भी करते हैं।

मान्यता के अनुसार जब भगवान राम, माता सीता से विवाह करके आ रहे थे तो इस स्थान पर उन लोगों ने विश्राम किया था। विश्राम के दौरान माता सीता के स्नान के लिए उन्होंने यहां पर एक कुंड का निर्माण करवाया था। उसी कुंड के कारण इस जगह का नाम सीताकुंड पड़ा। इस कुंड के नीचे पृथ्वी की अथाह गहराई में सात कुंआ है, जिसके कारण इस कुंड का पानी कभी भी कम नहीं होता है। इस कुंड में नीचे की सतह से हमेशा पानी आते रहता है।

एक और मान्यता है कि इस कुंड में स्वयं माता गंगाजी ने आकर जल प्रवाहित की थी ताकि इस जल से भगवान राम और मां सीता स्नान कर सके। सर्वप्रथम माता सीता ने इस जल से शिवलिंग का निर्माण कर पूजा अर्चना की थी। उसी समय समय से अर्थात त्रेता युग से सीता कुंड के पास एक शिवलिंग भी है जो हजारों साल पुराना है, जिसकी निर्माण स्वयं माता सीता ने की थी।

3. मनोकामना माई मंदिर, गोढ़िया हराज

पूर्वी चंपारण के गोरिया हराज में स्थित मनोकामना माई मंदिर जो कि आजकल पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिरों में उभर कर सामने आई है। कुछ सालों से इस मंदिर में दूर देश से भी पर्यटक मनोकामना माई की दर्शन करने आते हैं।

मनोकामना माई मंदिर की एक खास से मान्यता है कि इस मंदिर में आकर जो भी भक्त अपनी कामना करता है वह कामना पूरी हो जाती है। इसलिए मनोकामना माई मंदिर दिन-ब-दिन अत्यधिक प्रसिद्ध होते जा रही है और यहां सैलानियों की और भक्तों की काफी भीड़ होती जा रही है।

इस मंदिर में सबसे अधिक भीड़ दशहरे के टाइम में होती है। दशहरे के समय जितने भी भक्त मान्यता मान कर गए होते हैं, और उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वे आकर माता के दर्शन कर उनको चुनरी और रुपयों की माला चढ़ाते हैं। दशहरा के समय इस मंदिर में स्थित माताजी के गले में लाखों रुपयों की हार चढ़ाई जाती है।

अगर आप इस मनोकामना माई मंदिर में पहुंचना चाहते हैं तो आसानी से मोतिहारी रेलवे स्टेशन से किसी भी सवारी गाड़ी से पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए किसी भी जगह से गाड़ियों की सुविधा उपलब्ध है। यह मोतिहारी से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

4. शिव मंदिर, मधुबनी घाट मोतिहारी

मोतिहारी शहर से पूर्व दिशा में 12 किलोमीटर की दूरी पर मधुबनी घाट नामक एक गांव के बाजार में भगवान शिव का एक मंदिर है। यह मंदिर मोतिहारी और पकड़ीदयाल के बीच में स्थित है। इस मंदिर में सावन मास से लेकर भादो मास तक भगवान शिव को भारी संख्या में श्रद्धालु जल चढ़ाते हैं।

मधुबनी घाट शिव मंदिर में शिवरात्रि एवं महाशिव रात्रि के दिन भारी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। इस अवसर पर यहां मेला भी लगता है। इस मंदिर में जो व्यक्ति कोई कामना करता है वह अवश्य हीं पूरा होता है। यह मंदिर भी पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिरों में एक स्थान रखता है।

5.आनंदेश्वर शिव मंदिर, धनही सुगौली

आनंदेश्वर शिव मंदिर को युग्म पंचमुखी शिव मंदिर भी कहा जाता है। यह सुगौली के धनही नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर भी पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिर के रूप में जाना जाता है। यहां भी श्रद्धालु काफी मात्रा में दर्शन करने आते हैं।

यह मंदिर भी पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

6.विराट रामायण मंदिर, कैथवलिया

बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के कल्याणपुर प्रखंड में कैथवलिया नामक एक जगह है, जहां पर विश्व का सबसे ऊंचा राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। यह मंदिर 270 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है। जी हां इसलिए यह सबसे ऊंचा मंदिर कहलाएगा। यह मंदिर 200 एकड़ की जमीन पर बनाया जा रहा है।

इस मंदिर के बीचोबीच एक शिवलिंग की भी स्थापना की जाएगी जहां पर लोग आकर जलाभिषेक करेंगे। इस मंदिर को बनवाने में 500 करोड़ों रुपए का खर्च पटना महावीर मंदिर न्यास द्वारा किया जा रहा है। यहां 12 मंदिरों और चार आश्रमों का निर्माण होगा। आने वाले समय में यह पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिरों की कतार में सबसे आगे होगा।

मंदिर परिसर में जिस शिवलिंग का निर्माण होगा उसकी गोलाई 33-33 फीट की होगी। इस शिवलिंग को महाबलीपुरम में बनाया जा रहा है। इस शिवलिंग को बनाने के लिए कन्याकुमारी से पत्थर खरीदा गया है। इस शिवलिंग पर श्रद्धालु जल छत पर चढ़कर चढ़ाएंगे इसलिए इसमें लिफ्ट का भी व्यवस्था किया जा रहा है।

इस मंदिर परिसर में एक जलकुंड का भी निर्माण कराया जाएगा और इस जलकुंड का नाम गंगासागर रखा जाएगा इस जलकुंड की लंबाई एवं चौड़ाई 800 * 400 फीट की होगी। श्रद्धालु गांव सिताबदियारा के पास के गंगा जमुना के संगम का जल भरकर इस शिवलिंग पर जलाभिषेक करेंगे। यह मंदिर पूर्वी चम्पारण के प्रसिद्ध मंदिरों में सबसे बड़ा मंदिर होगा।

7.चीत्रगुप्त मंदिर मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण

इस मंदिर की स्थापना 1883 में हुई है। यह मोतिहारी का बहुत पुराना मन्दिर है। चित्रगुप्त मंदिर का इतिहास बहुत हीं पुराना है, इतना कि इसके संबंध में ठोस जानकारी शायद ही किसी को हो। यहां के लोकल निवासियों के मतानुसार इस मंदिर में 1983 से पूजा अर्चना होती आ रही है।

पौराणिक कथाओं एवं मान्यताओं के अनुसार भगवान चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं। एक मान्यता यह भी है की कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त हैं और उन्होंने इस जाति की उत्पति यम द्वितीया के दिन किया था। उसी समय से इस जाति के लोग उनकी पूजा पूरे मनोयोग से करते हैं।

यह मंदिर मोतिहारी अर्थात पूर्वी चम्पारण जिला के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मोतिहारी के ठाकुरबाड़ी मोहल्ला में स्थित है। यह लगभग 135 साल पुराना मन्दिर है। यहां आने पर आपको मन में शांति का अनुभव होगा।

आप जब भी इन मंदिरों में जायें तो भक्ति भजन में डुब जाएं और भजन लिरिक्स का उपयोग कर भजन कीर्तन करें।

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